हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान के अवतार रुद्र अवतार काल भरू की पूजा का प्रकार है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कल भरवि जयंती पर भगवान की पूजा करने से व्यक्ति के भीतर से हर तरह का डर हमेशा के लिए दूर हो जाता है।
1. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली राहु में हो और शनि ग्रह परकोप हो तो उसे काल भैरू की पूजा करनी चाहिए। काल भैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं, इसलिए काल भैरव अष्टमी के दिन शिवलिंग की पूजा करना शुभ माना जाता है।
2. इस दिन 21 बेलपत्र के पत्तों पर ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं।
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3. काल भैरव अष्टमी पर शाम के समय शमी के पौधे में सरसों के तेल का दीपक जलाने से परिवार के सभी सदस्यों में प्रेम बढ़ता है।
4. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान के काल भरू कही कोठे को ग्रहण करना होता है, इसलिए काल भैरो जयंती के शुभ अवसर पर काले कोठे का सेवन करना चाहिए।
5. भैरू जयंती के दिन भैरू के पास जाकर भगवान के मंदिर में सरसों का तेल और सिंदूर लगाएं।
6. काल भैरू स्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान काल भैरू की विधि-विधान से पूजा करें। ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं।
7. भगवान काल भैरव को काशी कटवाल भी कहा जाता है। उनकी अनुमति के बिना कोई काशी में प्रवेश नहीं कर सकता।