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भाजपा के मिशन 2024 के चार सौ दिन के एजेंडे में एक मुद्दा सभी वर्गों के बीच जाकर सर्वसमाज व सर्वस्पर्शी अवधारणा को जमीनी हकीकत में बदलना भी है। इसके तहत पार्टी मुस्लिम समुदाय के बीच जाकर उन्हें आर्थिक हितों को लेकर भी जागरूक करेगी। भाजपा की कोशिश विपक्ष की उन कोशिशों को नाकाम करना है, जिसके तहत उसकी मुस्लिम विरोधी तस्वीर पेश की जाती है।

भाजपा की हैदराबाद और उसके बाद दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम समुदाय को लेकर जो संदेश दिया गया है, वह उसकी चुनावी रणनीति से भी जुड़ा है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से दिया गया संदेश भी शामिल है। मुसलमानों के भीतर आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े तबके के बीच भाजपा का अभियान शुरू हो गया है।

पसमांदा समुदाय के बीच पार्टी अपनी पहुंच भी बना रही है। उत्तर प्रदेश सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री भी इसी समुदाय से आते हैं। दरअसल, भाजपा ने वर्ष 2024 के लिए अपना बड़ा मिशन तय किया है, जिसमें अपनी मौजूदा सीटों से भी आगे बढ़ने का लक्ष्य है। ऐसे में उसे उन जगहों पर भी पहुंचना है, जहां वह अभी कमजोर है। राजनीतिक रूप से भाजपा को सबसे ज्यादा दिक्कत विपक्ष की उस रणनीति से आती है, जिसमें वह मुस्लिम समुदाय को भाजपा के विरोध में किसी जिताऊ उम्मीदवार के साथ एकजुट करता है। अब भाजपा विपक्ष की इसी रणनीति की काट में जुटी है।

भाजपा की कोशिश मुसलमानों के बीच जाकर उन्हें आर्थिक मुद्दों पर जागरूक करने की है। खासकर किन केंद्रीय योजनाओं से उन्हें लाभ होगा और किस तरह के व्यावसायिक काम करने में उन्हें सरकारी सहायता मिल सकती है। पार्टी का मानना है कि मुस्लिम समुदाय के लोग एकाएक उसके समर्थन में वोट करने लगेंगे, ऐसा भी नहीं है। उसकी पहली कोशिश विपक्ष द्वारा मुस्लिमों के भीतर भाजपा को लेकर पैदा की गई नकारात्क छवि को खत्म करना है। इससे भी पार्टी को राजनीतिक लाभ मिल सकता है। क्योंकि, ध्रुवीकरण की स्थिति में अगर मुसलमान भाजपा को वोट न भी दें तो कम से कम उसे हराने के लिए किसी एक के पक्ष में एकजुट नहीं होंगे।

अल्पसंख्यक मोर्चा कोशिशों में जुटा

भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा भी अपनी कोशिशों में जुटा हुआ है। देश की मुस्लिम बहुल (समीकरणों को प्रभावित करने वाली) साठ सीटों को चिन्ह्त कर वहां पर स्नेह यात्राओं व स्कूटर यात्राओं की तैयारी की जा रही है। इनमें उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल की 13-13, केरल व असम की छह-छह, जम्मू-कश्मीर की पांच, बिहार की चार, मध्य प्रदेश की तीन, तमिलनाडु व हरियाणा की दो-दो व महाराष्ट्र व लक्षद्वीप की एक-एक सीट शामिल हैं।

वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए कवायद

भाजपा ने प्रदेश कार्यसमिति के बाद चुनावी तैयारियों को जमीनी स्तर पर उतारने की कवायद शुरू कर दी है। पार्टी का फोकस अपना मत प्रतिशत बढ़ाकर 50 फीसदी पार कराने पर है। इसके लिए डाटा को हथियार बनाने की तैयारी है। हर जिले में डाटा एकत्रित करने के लिए अलग टीम बनाई गई है। प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने सोमवार को पार्टी के राज्य मुख्यालय पर सभी छह क्षेत्रों के पदाधिकारियों की दो सत्रों में बैठक ली। उन्हें तेजी से इस काम में जुटने के निर्देश दिए।

● मुस्लिम समुदाय को उनके आर्थिक हितों को लेकर जागरूक किया जाएगा

● भाजपा की नकारात्मक छवि पेश करने की कोशिशों को किया जाएगा नाकाम

● पसमांदा समुदाय के बीच पार्टी अपनी पहुंच भी बना रही है

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