खाड़ी देशों में बंद सजायाफ्ता भारतीय कैदियों के लिए मुहिम, जल्द खुल सकते हैं वतन वापसी के रास्ते 

हाइलाइट्स

खाड़ी देशों की जेलों में लगभग 3750 भारतीय कैदी.
भारतीय कैदियों में ज्यादातर लोग मजदूर और दलित.
भारतीय कैदियों को रिहा कराने की मुहिम हो रही तेज.

पटना. भारत से बड़ी संख्या में लोग नौकरी की तलाश में खाड़ी देशों में जाते हैं, लेकिन कई बार कई लोगों को छोटे-मोटे मामले या अन्य अपराधों के कारण उन्हें जेल की सलाखों में बंद कर दिया जाता है. ऐसे लोग जो गरीब और दलित हैं और जिन्होंने छोटे-मोटे अपराध किए हैं, वे बड़ी संख्या में यूएई, दुबई, सऊदी अरब और कतर जैसे देश के जेलों में बंद हैं. खास बात यह कि उन्हें देखनेवाला कोई नहीं है. ऐसे सजायाफ्ता कैदियों के लिए खाड़ी देशों में रहनेवाले भारत के बुद्धिजीवियों के द्वारा एक मुहिम चलाई जा रही है जिससे उन्हें राहत मिल सके.

खाड़ी देशों में लाखों की तादाद में भारतीय रहते हैं. इनमें से कुछ लोग छोटी-मोटी घटनाओं या शराब पीने, मारपीट आदि जैसे अपराधों के मामले में पिछले कई वर्षों से बड़ी संख्या में इन देशों के जेलों में बंद हैं. भारतीय कैदियों में ज्यादातर लोग मजदूर वर्ग के हैं और दलित हैं. इनके परिवारों की माली हालत इतनी अच्छी नहीं कि वे दुबई और सऊदी अरब जैसे देश में जाकर अपने परिजनों का हाल-चाल जान सके.

इन्हीं समस्याओं को खत्म करने के लिए पिछले कई वर्षों से कई संस्थाएं काम कर रही हैं जिनमें से एक है दीनदयाल ग्लोबल फाउंडेशन, दुबई. संस्था के फाउंडर रवि शंकर चंद भारत सरकार और खाड़ी देशों के बीच में हुए उस करार को हथियार बना रहे हैं, जिसमें खाड़ी देशों में छोटे-मोटे अपराध करनेवाले सजायाफ्ता कैदियों को भारत के जेल में ट्रांसफर करने पर सहमति बनी थी. वर्ष 2011 में यह समझौता हुआ था लेकिन इस पर आज तक अमल नहीं किया गया.

आपके शहर से (पटना)

इस करार के अनुसार, वैसे कैदियों को भारत भेजा जाना था जिन्होंने छोटे-मोटे अपराध किए हों, कोई बड़ा माफिया न हो, जिसे हत्या, देशद्रोह और आर्म्स एक्ट के तहत सजा नहीं हुई हो. आंकड़े के अनुसार, लगभग 3750 भारतीय कैदी खाड़ी देशों के अलग अलग जेलों में बंद है. इन कैदियों की अपने वतन वापसी और अपने ही देश के जेलों में आगे की सजा काटने का प्रावधान किया गया था.

ऐसे लोगों पर बरसों से काम कर रहे हैं रवि शंकर चंद का कहना है कि जिलों में बंद लोगों को यदि भारत भेज दिया जाए और वहां के जिलों में उन्हें रखा जाए तो उनकी जिंदगी आसान हो जाएगी. साथ ही उनके परिवारों के लोग भी राहत की सांस लेंगे और जेल मैनुअल के अनुसार, कैदी और उनके परिवार के लोग मुलाकात भी कर सकेंगे.

माना जा रहा है कि यदि खाड़ी देश के सजायाफ्ता कैदी भारत लौटते हैं तो अन्य देश के जेलों में बंद भारतीयों के लिए भी रास्ता खुल सकता है जो किसी मजबूरी में या छोटे-मोटे अपराध में दुनिया के अलग-अलग देशों के जेल में बंद हैं.

Tags: Bihar News, PATNA NEWS

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